हेतु या इनाम वाक्य
उच्चारण: [ hetu yaa inaam ]
"हेतु या इनाम" अंग्रेज़ी मेंउदाहरण वाक्य
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- ऐसे में अधिनियम की धारा 20 के अधीन यही उपधारित किया जायेगा कि अभियुक्त ने उपर्युक्त राशि वैध पारिश्रमिक से भिन्न हेतु या इनाम के रूप में बतौर रिश्वत प्राप्त की है।
- ऐसे में यही उपधारित किया जायेगा कि इसने य ह राशि हेतु या इनाम के रूप में भ्रष्ट एवं अवैध तरीका से प्राप्त की है, वहाँ इसे आरोपित अपराधों में दोषसिद्ध करार दिया जाए।
- इन परिस्थितियों में यह भी साबित हुआ नहीं पाया जाता है कि आरोपीगण ने भ्रष्ट एवं अवैध तरीके से हेतु या इनाम के रूप में परिवादी से रिश्वत राशि ग्रहण कर अपने आधिपत्य में रखी हो।
- ऐसे में अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत उपर्युक्त दोनों न्यायदृष्टान्तों में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त के आधार पर यही कहा जायेगा कि अभियुक्त ने परिवादी शैलेन्द्र सोलंकी से यह राशि हेतु या इनाम के रूप में प्राप्त की है।
- इसने परिवादी लाभुराम से यह राशि क्यों प्राप्त की, इस सम्बन्ध में इसका कोई युक्तियुक्त, संभाव्य एवं प्रमाण आधारित सत्य स्पष्टीकरण या बचाव नहीं है, वहां अधिनियम की धारा 20 के अनुसार यह उपधारित किया जाएगा कि इसने परिवादी लाभुराम से यह राशि हेतु या इनाम के रूप में प्राप्त की है।
- अभियुक्त ने उपर्युक्त परितोषण राशि की सम्बन्ध में किसी भी प्रकार का स्पष्टीकरण ही नहीं दिया है, वहां अधिनियम की धारा 20 के अधीन यही उपधारित किया जायेगा कि इसने यह राशि हेतु या इनाम के रूप में प्राप्त की है, इस कारण इसके विरूद्ध उक्त अधिनियम की धारा 7 का अपराध सिद्ध होता है।
- अभियुक्त मगाराम ने परिवादी मूलाराम से तीन सौ रूपये की आपराधिक प्रकरण सं0 61 / 2005-47-राज्य विरूद्ध मगाराम राशि क्यों प्राप्त की, इस सम्बन्ध में इसका कोई युक्तियुक्त व संभाव्य स्पष्टीकरण या बचाव नहीं है, वहां अधिनियम की धारा 20 अनुसार यही उपधारित किया जायेगा कि इसने परिवादी मूलाराम से यह राशि हेतु या इनाम के रूप में प्राप्त की है।
- " आया अभियुक्त दिनांक 5-1-2005 को कनिष्ठ अभियन्ता, अजमेर विद्युत वितरण निगम लि. नागौर के पद पर लोक सेवक की हैसियत से कार्यरत रहते हुये परिवादी देवाराम से उसके मकान में बिजली का कनेक्शन करवाने की एवज में 800/-रूपये रिश्वत राशि की मांग कर इस प्रयोजनार्थ हेतु या इनाम के रूप में भ्रष्ट एवं अवैध तरीके से दिनांक 5-1-2005 को चार सौ रूपये रिश्वत राशि प्राप्त कर आपराधिक दुराचरण किया?
- " आया अभियुक्त शिवनारायण ने भू-अभिलेख निरीक्षक, सिवाना के पद पर लोक सेवक की हैसियत से कार्य करते हुये परिवादी माधाराम से उसका निजी कुआ खसरा संख्या 198/4 में सरकारी जमीन नदी में खुदवाने के लिये पांच विस्वा भूमि लीज पर लेने के लिये आवेदन करने पर 1500/-रूपये रिश्वत राशि की मांग कर समदड़ी में हेतु या इनाम के रूप में भ्रष्ट एवं अवैध तरीके से प्राप्त कर आपराधिक अवचार किया?
- इस न्यायालय के समक्ष निर्धारण हेतु प्रश्न यह है कि क्या प्रकरण के अभियुक्त हुकमसिंह ने हल्का पटवारी पावली एवं अतिरिक्त प्रभार हलका पटवारी दोरड़ा (तहसील भीनमाल) के लोक सेवक के पद पर रहते हुये अभियोगी छैलसिंह से उसके भाई देवीसिंह के खेत का म्यूटशन भरवाने के एवज में हेतु या इनाम के रूप में वैध पारिश्रमिक से भिन्न 2000/-रूपये रिश्वत की मांग कर दिनांक 11-10-2002 को यह राशि प्राप्त कर आपराधिक अवचार किया?
- " आया अभियुक्त विरदाराम ने दिनांक 2.6.2004 को मुख्य आरक्षक संख्या 621 पुलिस थाना, जाडन के पद पर रहते हुये परिवादी खीमपुरी, निवासी जाडन से उसको गिरफतार नहीं करने की एवज में एक हजार रूपये रिश्वत राशि की मांग की अन्यथा उसे गिरफतार करने की धमकी देकर दिनांक 5.11.2004 को रिश्वत राशि की मांग कर हेतु या इनाम के रूप में भ्रष्ट एवं अवैध तरीके से दिनांक 9.11.2004 को एक हजार रूपये प्राप्त कर आपराधिक दुराचरण किया?
- " आया अभियुक्त रूपाराम ने दिनांक 28-9-2005 को पुलिस थाना बागोडा में मुख्य आरक्षी के पद पर रहते हुये परिवादी अणदाराम से आपराधिक प्रकरण संख्या 22/2006-7-राज्य विरूद्ध रूपाराम उसके भाई जबराराम एवं साला भावाराम के विरूद्ध दर्ज अभियोग सं65/2005 से उन्हें निकलवाने के लिये हेतु या इनाम के रूप में वैध पारिश्रमिक से भिन्न चार हजार रूपये रिश्वत राशि की मांग की और दिनांक 30-9-2005 को इस प्रयोजनार्थ एक-एक हजार रूपये रिश्वत राशि प्राप्त कर आपराधिक दुराचरण किया?
- इस प्रकार से अभिलेख पर उपलब्ध अभियोजन पक्ष की समग्र साक्ष्य, मामला के घटनाक्रम, साक्षियों व अभियुक्त के आचरण एवं परिस्थितियों को देखने से यहां सिर्फ यही निष्कर्ष निकलता है कि अभियुक्त मगाराम ने परिवादी मूलाराम के खेत की नेखमबन्दी करने के लिये उससे दिनाँक 20.07.2004 को रिश्वत के रूप में तीन सौ रूपये हेतु या इनाम के रूप में प्राप्त किए, वहां इसके विरूद्ध अधिनियम की धारा 7 के अपराध का आरोप सन्देह से परे सिद्ध होता है।
- न्यायालय के समक्ष निर्धारण हेतु प्रश्न है कि क्या प्रकरण के अभियुक्त चौथाराम ने दिनांक 1. 10.2002 को राजस्व पटवारी, चेतरोड़ी (तहसील शिव, जिला बाड़मर) के पद पर लोक सेवक की हैसियत से कार्यरत रहते हुये परिवादी रूपाराम सुथार से उसके खेत का म्यूटेशन भरने व पासबुक देने की एवज में भ्रष्ट एवं अवैध तरीका से हेतु या इनाम के रूप में चार सौ रूपये की मांग कर राशि प्राप्त कर अपने पद का दुरूपयोग करते हुये आपराधिक अवचार किया?
- इस न्यायालय के समक्ष निर्धारण हेतु प्रश्न यह हैं कि क्या प्रकरण के अभियुक्त बाबूसिंह ने हलका पटवारी कालेरी के लोक सेवक के पद पर रहते हुये अभियोगी जवानाराम एवं मोहबताराम से उनके खेत का म्यूटेशन भरने एवं खसरा संख्या 465 एवं 468 की जमाबन्दी की नकले देने की एवज में हेतु या इनाम के रूप में वैध पारिश्रमिक से भिन्न 1500 /-रूपये परितोषण की मांग कर दिनांक 21.4.2002 को उनसे यह राशि भ्रष्ट एवं अवैध तरीका से प्राप्त कर आपराधिक अवचार किया?
- इस न्यायालय के समक्ष निर्धारण हेतु यह प्रश्न यह है कि क्या प्रकरण के अभियुक्त चन्दाराम ने सहायक अभियन्ता, खान एवं भू-विज्ञान विभाग, बाड़मर में सरकापार पर नाकेदार के रूप में लोक सेवक की आपराधिक प्रकरण सं0 76/2005 राज्य विरूद्ध चन्दाराम-8-हैसियत से कार्य करते हुये परिवादी लाभुराम माली से प्रति टेªक्टर ट्रिप के सौ रूपये रिश्वत की मांग कर दिनांक 1.7.2004 को इस प्रयोजनार्थ हेतु या इनाम के रूप में तीन हजार रूपये रिश्वत राशि भ्रष्ट एवं अवैध तरीका से प्राप्त कर आपराधिक दुराचरण (अवचार) किया?
- " आया अभियुक्त ने दिनांक 21-4-2004 को पटवारी, पटवार हल्का मंडाउ-बी, तहसील मोहनगढ-2, जिला जैसलमेर के पद पर लोकसेवक की हैसियत से पदस्थापित रहते हुये परिवादी ओमप्रकाश से उसके खेत मुरब्बा चक नम्बर 6एम 2 में 63/62 तहसील मोहनगढ-2 आया हुआ है जिसकी डुप्लीकेट पासबुक व गिरदावरी की नकल देने की एवज में पांच सौ रूपये रिश्वत राशि की मांग कर इस प्रयोजनार्थ हेतु या इनाम के रूप में भ्रष्ट एवं अवैध तरीके से दिनांक 22-4-2004 को 450/-रूपये की रिश्वत राशि मांग कर प्राप्त कर आपराधिक दुराचरण किया?
- इस प्रकार से अभिलेख पर आई अभियोजन पक्ष की समग्र साक्ष्य, मामला के घटनाक्रम, साक्षियों एवं अभियुक्त के आचरण एवं परिस्थितियों को देखने से यहां सिर्फ यही निष्कर्ष निकलता है कि अभियुक्त पदमसिंह ने परिवादी शैलेन्द्र सोलंकी के स्थानान्तरण आदेश को रद्द करवाने के लिये उससे रिश्वत के रूप में तीन हजार रूपये मांग कर हेतु या इनाम के रूप में दो हजार रूपये रिश्वत राशि प्राप्त की, इस कारण इसके विरूद्ध उक्त अधिनियम की धारा 7 के अपराध का आरोप युक्तियुक्त सन्देह से परे सिद्ध होता है।
- इस प्रकार से अभिलेख पर आई अभियोजन पक्ष की समग्र साक्ष्य मामला के घटनाक्रम, साक्षियों व अभियुक्त के आचरण एवं परिस्थितियों को देखने से यहां सिर्फ यही निष्कर्ष निकलता है कि अभियुक्त चौथाराम ने परिवादी रूपाराम के खेत काम्यूटेशन भरने व इसकी पास बुक जारी देने के लिये उससे दिनाँक 1.10.2002 को रिश्वत के रूप में चार सौ रूपये मांग कर हेतु या इनाम के रूप में प्राप्त किए, इस कारण इसके विरूद्ध उक्त अधिनियम की धारा 7 के अपराध का आरोप सन्देह से परे सिद्ध होता है।
- इस न्यायालय के समक्ष निर्धारण हेतु प्रश्न यह है कि क्या प्रकरण के अभियुक्त सम्पतराज मेवाड़ा ने दिनांक 26. 10.2002 को ग्राम पंचायत, पोमावा (पंचायत समिति, सुमेरपुर जिला पाली) में ग्रामसेवक एवं पदेन सचिव के पद पर लोक सेवक की हैसियत से पदस्थापित रहते हुये परिवादी मोहनसिंह राजपुरोहित के ग्राम पुराड़ा (जिला पाली) स्थित कब्जासुद पुश्तैनी भूखण्ड का पट्टा देने की एवज में उससे हेतु या इनाम के रूप में भ्रष्ट एवं अवैध तरीका से अपने पद का दुरूपयोग करते हुये 500/-रूपये रिश्वत के प्राप्त कर आपराधिक दुराचरण कारित किया?
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